Surah At Toor 52 | Hindi Translation | Text & Mp3 | सूरह अत-तूर
तर्जुमे के साथ | लिखा हुआ और सुन्ने के लिए | Hindi
बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम
सूरह अत-तूर [52]
﴾ 1 ﴿ शपथ है तूर[1] (पर्वत) की!
1. यह उस पर्वत का नाम है जिस पर मूसा (अलैहिस्सलाम) ने अल्लाह से वार्तालाप की थी।
﴾ 2 ﴿ और लिखी हुई पुस्तक[1] की!
1. इस से अभिप्राय क़ुर्आन है।
﴾ 3 ﴿ जो झिल्ली के खुले पन्नों में लिखी हुई है।
﴾ 4 ﴿ तथा बैतुल मअमूर (आबाद[1] घर) की!
1. यह आकाश में एक घर है जिस की फ़रिश्ते सदैव परिक्रमा करते रहते हैं। कुछ व्याख्याकारों ने इस का अर्थ काबा लिया है। जो उपासकों से प्रत्येक समय आबाद रहता है। क्योंकि मअमूर का अर्थ “आबाद” है।
﴾ 5 ﴿ तथा ऊँची छत (आकाश) की!
﴾ 6 ﴿ और भड़काये हुए सागर[1] की!
1. (देखियेः सूरह तक्वीर, आयतः 6)
﴾ 7 ﴿ वस्तुतः, आपके पालनहार की यातना होकर रहेगी।
﴾ 8 ﴿ नहीं है उसे कोई रोकने वाला।
﴾ 9 ﴿ जिस दिन आकाश डगमगायेगा।
﴾ 10 ﴿ तथा पर्वत चलेंगे।
﴾ 11 ﴿ तो विनाश है उस दिन, झुठलाने वालों के लिए।
﴾ 12 ﴿ जो विवाद में खेल रहे हैं।
﴾ 13 ﴿ जिस दिन वे धक्का दिये जायेंगे नरक की अग्नि की ओर।
﴾ 14 ﴿ (उनसे कहा जायेगाः) यही वह नरक है, जिसे तुम झुठला रहे थे।
﴾ 15 ﴿ तो क्या ये जादू है या तुम्हें सुझाई नहीं देता?
﴾ 16 ﴿ इसमें प्रवेश कर जाओ, फिर सहन करो या सहन न करो, तुमपर समान है। तुम उसी का बदला दिये जा रहे हो, जो तुम कर रहे थे।
﴾ 17 ﴿ निश्चय, आज्ञाकारी बाग़ों तथा सुखों में होंगे। प्रसन्न होकर उससे, जो प्रदान किया होगा उन्हें उनके पालनहार ने तथा बचा लेगा उन्हें, उनका पालनहार नरक की यातना से।
﴾ 18 ﴿ प्रसन्न होकर उससे, जो प्रदान किया है उनहें उनके पालनहार ने तथा बचा लेगा उनहें उनका पालनहार नरक की यातना से।
﴾ 19 ﴿ (उनसे कहा जायेगाः) खाओ और पियो मनमानी, उसके बदले में, जो तुम कर रहे थे।
﴾ 20 ﴿ तकिये लगाये हुए होंगे तख़्तों पर बराबर बिछे हुए तथा हम विवाह देंगे उनको बड़ी आँखों वाली स्त्रियों से।
﴾ 21 ﴿ और जो लोग ईमान लाये और अनुसरण किया उनका, उनकी संतान ने ईमान के साथ, तो ह्म मिला देंगे उनकी संतान को उनके साथ तथा नहीं कम करेंगे उनके कर्मों में से कुछ, प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्मों का बंधक[1] है।
1. अर्थात जो जैसा करेगा वैसा भरेगा।
﴾ 22 ﴿ तथा अधिक देंगे उन्हें मेवे तथा मांस जिसकी वे रूचि रखेंगे।
﴾ 23 ﴿ वे एक-दूसरे से उसमें लेते रहेंगे मदिरा के प्याले, जिसमें न कोई व्यर्थ बात होगी, न कोई पाप की बात।
﴾ 24 ﴿ और फिरते रहेंगे उनकी सेवा में (सुन्दर) बालक, जैसे वह छुपाये हुए मोती हों।
﴾ 25 ﴿ और वे (स्वर्ग वासी) सम्मुख होंगे एक-दूसरे के प्रश्न करते हुए।
﴾ 26 ﴿ वे कहेंगेः इससे पूर्व[1] हम अपने परिजनों में डरते थे।
1. अर्थात संसार में अल्लाह की यातना से।
﴾ 27 ﴿ तो अल्लाह ने उपकार किया हमपर तथा हमें सुरक्षित कर दिया तापलहरी की यातना से।
﴾ 28 ﴿ इससे पूर्व[1] हम वंदना किया करते थे उसकी। निश्चय वह अति परोपकारी, दयावान् है।
1. अर्थात संसार में।
﴾ 29 ﴿ तो आप शिक्षा देते रहें। क्योंकि आपके पालनहार की अनुग्रह से न आप काहिन (ज्योतिषि) हैं और न पागल।[1]
1. जैसा कि वह आप पर यह आरोप लगा कर हताश करना चाहते हैं।
﴾ 30 ﴿ क्या वे कहते हैं कि ये कवि हैं, हम प्रतीक्षा कर रहे हैं उसके साथ कालचक्र की?[1]
1. अर्थात क़ुरैश इस प्रतीक्षा में हैं कि संभवतः आप को मौत आ जाये तो हमें चैन मिल जाये।
﴾ 31 ﴿ आप कह दें कि तुम प्रतीक्षा करते रहो, मैं (भी) तुम्हारे साथ प्रतीक्षा करता हूँ।
﴾ 32 ﴿ क्या उन्हें सिखाती हैं उनकी समझ ये बातें अथवा वह उल्लंघनकारी लोग हैं?
﴾ 33 ﴿ क्या वे कहते हैं कि इस (नबी) ने इस (क़ुर्आन) को स्वयं बना लिया है? वास्तव में, वे ईमान लाना नहीं चाहते।
﴾ 34 ﴿ तो वे ले आयें इस (क़ुर्आन) के समान कोई एक बात, यदि वे सच्चे हैं।
﴾ 35 ﴿ क्या वे पैदा हो गये हैं बिना[1] किसी के पैदा किये अथवा वे स्वयं पैदा करने वाले हैं?
1. जुबैर बिन मुतइम कहते हैं कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) मग़्रिब की नमाज़ में सूरह तूर पढ़ रहे थे। जब इन आयतों पर पहुँचे तो मेरे दिल की दशा यह हुई कि वह उड़ जायेगा। (सह़ीह़ बुख़ारीः 4854)
﴾ 36 ﴿ या उन्होंने ही उत्पत्ति की है आकाशों तथा धरती की? वास्तव में, वे विश्वास ही नहीं रखते।
﴾ 37 ﴿ अथवा उनके पास आपके पालनहार के कोषागार हैं या वही (उसके) अधिकारी हैं?
﴾ 38 ﴿ अथवा उनके पास कोई सीढ़ी है, जिसे लगाकर सुनते[1] हैं? तो उनका सुनने वाला कोई खुला प्रमाण प्रस्तुत करे।
1. अर्थात आकाश की बातें। और जब उन के पास आकाश की बातें जानने का कोई साधन नहीं तो यह लोग, अल्लाह, फ़रिश्ते और धर्म की बातें किस आधार पर करते हैं?
﴾ 39 ﴿ क्या अल्लाह के लिए पुत्रियाँ हों तुम्हारे लिए पुत्र हों।
﴾ 40 ﴿ या आप माँग कर रहे हैं उनसे किसी पारिश्रमिक[1] की, तो वे उसके बोझ से दबे जा रहे हैं?
1. अर्थात सत्धर्म के प्रचार पर।
﴾ 41 ﴿ अथवा उनके पास परोक्ष (का ज्ञान) है, जिसे वे लिख[1] रहे हैं?
1. इसीलिये इस वह़्यी (क़ुर्आन) को नहीं मानते हैं।
﴾ 42 ﴿ या वे चाहते हैं कोई चाल चलना? तो जो काफ़िर हो गये, वे उस चाल में ग्रस्त होंगे।
﴾ 43 ﴿ अथवा उनका कोई ओर उपास्य (पूज्य) है अल्लाह के सिवा? अल्लाह पवित्र है उनके शिर्क से।
﴾ 44 ﴿ यदि वे देख लें कोई खण्ड आकाश से गिरता हुआ, तो कहेंगे कि तह पर तह बादल है।[1]
1. अर्थात तब भी अपने कुफ़्र से नहीं रुकेंगे जब तक कि उन पर यातना न आ जाये।
﴾ 45 ﴿ अतः, आप छोड़ दें उन्हें, यहाँ तक कि वे मिल जायें अपने उस दिन से, जिसमें[1] इन्हें अपनी सुध्द नहीं होगी।
1. अर्थात प्रलय के दिन।
﴾ 46 ﴿ उस दिन नहीं काम आयेगी उनके, उनकी चाल कुछ और न उनकी सहायता की जायेगी।
﴾ 47 ﴿ तथा निश्चय अत्याचारियों के लिए एक यातना है इसके अतिरिक्त[1] (भी)। परन्तु, उनमें से अधिक्तर ज्ञान नहीं रखते हैं।
1. इस से संकेत संसारिक यातनाओं की ओर है। (देखियेः सूरह सज्दा, आयतः 21)
﴾ 48 ﴿ और (हे नबी!) आप सहन करें अपने पालनहार का आदेश आने तक। वास्तव में, आप हमारी रक्षा में हैं तथा पवित्रता का वर्णन करें अपने पालनहार की प्रशंसा के साथ जब जागते हों।[1]
1. इस में संकेत है आधी रात्री के बाद की नमाज़ (तहज्जुद) की ओर।
﴾ 49 ﴿ तथा रात्री में (भी) उसकी पवित्रता का वर्णन करें और तारों के डूबने के[1] पश्चात् (भी)।
1. रात्री में तथा तारों के डूबने के समय से संकेत मग़्रिब तथा इशा और फ़ज्र की नमाज़ की ओर है जिन में यह सब नमाजें भी आती हैं।
Surah At Toor 52 MP3 with Hindi
Translation
Surah At Toor 52 MP3 without Hindi
Translation
Title: 52. At-Tur (The Mount)
Reciter: Mishary Bin Rashid al-Afasy
Filename: 052-Mishary.mp3
Size: 7.4 MB
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