हदीस: रसूलुल्लाह ﷺ ने इरशाद फरमाया: जब मोमिन (अल्लाह का बंदा) बंदा कोई गुनाह करता है, तो उसकी वजह से उसके दिल पर एक सियाह नुक्ता (काला दाग) लग जाता है
फिर जब वो हमसे गुनाहों से रुक जाता है और तोबा (माफ़ी मंगना) वा इस्तिगफ़ार (माफ़ी मंगना) कर लेता है,
तो वो काला नुक्ता (डॉट) ख़तम होता है और दिल बिल्कुल साफ़ होता है
और अगर हमने तोबा वा इस्तिगफ़ार (माफ़ी मंगना) नहीं किया और मज़ीद (बार बार) गुनाह करता रहा तो दिल की वो सियाही (काला रंग) बढ़ती जाती है
यहां तक के पूरे दिल पर छा (काला हो जाना) जाती है।
(पूरा दिल का काला हो जाना)
(तिरिमिज़ी: 3334)
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