Surah Al Dukhan 44 | Hindi Translation | Text & Mp3 | सूरह अल-दुखान तर्जुमे के साथ लिखा हुआ और सुन्ने के लिए | Hindi

Surah Al Dukhan 44 | Hindi Translation | Text & Mp3 | सूरह अल-दुखान

 तर्जुमे के साथ | लिखा हुआ और सुन्ने के लिए | Hindi

बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम



सूरह अल-दुखान [44]

यह सूरह मक्की है, इस में 59 आयतें हैं।


अल्लाह के नाम से जो अत्यन्त कृपाशील तथा दयावान् है।

﴾ 1 ﴿ ह़ा मीम।

﴾ 2 ﴿ शपथ है इस खुली पुस्तक की।

﴾ 3 ﴿ हमने ही उतारा है इसे[1] एक शुभ रात्रि में। वास्तव में, हम सावधान करने वाले हैं।
1. शुभ रात्रि से अभिप्राय “लैलतुल क़द्र” है। यह रमज़ान के महीने के अन्तिम दशक की एक विषम रात्रि होती है। यहाँ आगे बताया जा रहा है कि इसी रात्रि में पूरे वर्ष होने वाले विषय का निर्णय किया जाता है। इस शुभ रात की विशेषता तथा प्रधानता के लिये सूरह क़द्र देखिये। इसी शुभ रात्रि में नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर क़ुर्आन उतरने का आरंभ हुआ। फिर 23 वर्षों तक आवश्यक्तानुसार विभिन्न समय में उतरता रहा। (देखियेः सूरह बक़रह, आयत संख्याः 185)

﴾ 4 ﴿ उसी (रात्रि) में निर्णय किया जाता है, प्रत्येक सुदृढ़ कर्म का।

﴾ 5 ﴿ ये (आदेश) हमारे पास से है। हम ही भेजने वाले हैं, रसूलों को।

﴾ 6 ﴿ आपके पालनहार की दया से, वास्तव में, वह सब कुछ सुनने-जानने वाला है।

﴾ 7 ﴿ जो आकाशों तथा धरती का पालनहार है तथा जो कुछ उन दोनों के बीच है, यदि तुम विश्वास करने वाले हो।

﴾ 8 ﴿ नहीं है कोई वंदनीय, परन्तु वही, जो जीवन देता तथा मारता है। तुम्हारा पालनहार तथा तुम्हारे गुज़रे हुए पूर्वजों का पालनहार है।

﴾ 9 ﴿ बल्कि, वे (मुश्रिक) संदेह में खेल रहे हैं।

﴾ 10 ﴿ तो आप प्रतीक्षा करें, उस दिन का, जब आकाश खुला धूँवा[1] लायेगा।
1. इस प्रत्यक्ष धुवें तथा दुःखदायी यातना की व्याख्या सह़ीह़ ह़दीस में यह आयी है कि जब मक्कावासियों ने नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का कड़ा विरोध किया तो आप ने यह शाप दिया कि हे अल्लाह! उन पर सात वर्ष का अकाल भेज दे। और जब अकाल आया तो भूक के कारण उन्हें धुवाँ जैसा दिखायी देने लगा। तब उन्हों ने आप से कहा कि आप अल्लाह से प्रार्थना कर दें। वह हम से अकाल दूर कर देगा तो हम ईमान ले आयेंगे। और जब अकाल दूर हुआ तो फिर अपनी स्थिति पर आ गये। फिर अल्लाह ने बद्र के युध्द के दिन उन से बदला लिया। (सह़ीह़ बुख़ारीः 4821, तथा सह़ीह़ मुस्लिमः2798)

﴾ 11 ﴿ जो छा जायेगा सब लोगों पर। यही दुःखदायी यातना है।

﴾ 12 ﴿ (वे कहेंगेः) हमारे पालनहार! हमसे यातना दूर कर दे। निश्चय हम ईमान लाने वाले हैं।

﴾ 13 ﴿ और उनके लिए शिक्षा का समय कहाँ रह गया? जबकि उनके पास आ गये एक रसूल (सत्य को) उजागर करने वाले।

﴾ 14 ﴿ फिर भी वे आपसे मुँह फेर गये तथा कह दिया कि एक सिखाया हुआ पागल है।

﴾ 15 ﴿ हम दूर कर देने वाले हैं कुछ यातना, वास्तव में तुम, फिर अपनी प्रथम स्थिति पर आ जाने वाले हो।

﴾ 16 ﴿ जिस दिन हम अत्यंत कड़ी पकड़[1] में ले लेंगे। तो हम निश्चय बदला लेने वाले हैं।
1. यह कड़ी पकड़ का दिन बद्र के युध्द का दिन है। जिस में उन के बड़े-बड़े सत्तर प्रमुख मारे गये तथा इतनी ही संख्या में बंदी बनाये गये। और उन की दूसरी पकड़ क़्यामत के दिन होगी जो इस से भी बड़ी और गंभीर होगी।

﴾ 17 ﴿ तथा हमने परीक्षा ली इनसे पूर्व फ़िरऔन की जाति की तथा उनके पास एक आदरणीय रसूल आया।

﴾ 18 ﴿ कि मुझे सौंप दो अल्लाह के भक्तों को। निश्चय मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ।

﴾ 19 ﴿ तथा अल्लाह के विपरीत घमंड न करो। मैं तुम्हारे सामने खुला प्रमाण प्रस्तुत करता हूँ।

﴾ 20 ﴿ तथा मैंने शरण ली है, अपने पालनहार की तथा तुम्हारे पालनहार की इससे कि तुम मुझपर पथराव कर दो।

﴾ 21 ﴿ और यदि तुम मेरा विश्वास न करो, तो मुझसे परे हो जाओ।

﴾ 22 ﴿ अन्ततः, मूसा ने पुकारा अपने पालनहार को, कि वास्तव में ये लोग अपराधी हैं।

﴾ 23 ﴿ (हमने आदेश दिया) कि निकल जा रातों-रात, मेरे भक्तों को लेकर। निश्चय तुम्हारा पीछा किया जायेगा।

﴾ 24 ﴿ तथा छोड़ दे सागर को उसकी दशा पर, खुला। वास्तव में, ये डूब जाने वाली सेना है।

﴾ 25 ﴿ वे छोड़ गये बहुत-से बाग़ तथा जल स्रोत।

﴾ 26 ﴿ तथा खेतियाँ और सुखदायी स्थान।

﴾ 27 ﴿ तथा सुख के साधन, जिनमें वे आन्नद ले रहे थे।

﴾ 28 ﴿ इसी प्राकार हुआ और हमने उनका उत्तराधिकारी बना दिया दूसरे[1] लोगों को।
1. अर्थात बनी इस्राईल (याक़ूब अलैहिस्सलाम की संतान) को।

﴾ 29 ﴿ तो नहीं रोया उनपर आकाश और न धरती और न उन्हें अवसर (समय) दिया गया।

﴾ 30 ﴿ तथा हमने बचा लिया इस्राईल की संतान को, अपमानकारी यातना से।

﴾ 31 ﴿ फ़िरऔन से। वास्तव में, वह चढ़ा हुआ उल्लंघनकारियों में से था।

﴾ 32 ﴿ तथा हमने प्रधानता दी उन्हें, जानते हुए, संसार वासियों पर।

﴾ 33 ﴿ तथा हमने उन्हें प्रदान कीं ऐसी निशानियाँ, जिनमें खुली परीक्षा थी।

﴾ 34 ﴿ वास्तव में, ये[1] कहते हैं कि
1. अर्थात मक्का के मुश्रिक कहते हैं कि संसारिक जीवन ही अन्तिम जीवन है। इस के पश्चात् परलोक का जीवन नहीं है।

﴾ 35 ﴿ हमें तो बस प्रथम बार मरना है तथा हम फिर जीवित नहीं किये जायेंगे।

﴾ 36 ﴿ फिर यदि तुम सच्चे हो, तो हमारे पूर्वजों को (जीवित करके) ला दो।

﴾ 37 ﴿ ये अच्छे हैं अथवा तुब्बअ की जाति[1] तथा जो उनसे पूर्व रहे हैं? हमने उनका विनाश कर दिया। निश्चय वे अपराधि थे।
1. तुब्बअ की जाति से अभिप्राय यमन की जाति सबा है। जिस के विनाश का वर्णन सूरह सबा में किया गया है। तुब्बअ ह़िम्यर जाति के शासकों की उपाधि थी जिसे उन की अवज्ञा के कारण ध्वस्त कर दिया गया। (देखियः सूरह सबा की आयतः 15 से 19 तक।)

﴾ 38 ﴿ तथा हमने आकाशों और धरती को एवं जो कुछ उन दोनों के बीच है, खेल नहीं बनाया है।

﴾ 39 ﴿ हमने नहीं पैदा किया है उन दोनों को, परन्तु सत्य के आधार पर। किन्तु अधिक्तर लोग इसे नहीं जानते हैं।

﴾ 40 ﴿ निःसंदेह निर्णय[1] का दिन, उन सबका निश्चित समय है।
1. अर्थात आकाशों तथा धरती की रचना लोगों की परीक्षा के लिये की गई है। और परीक्षा फल के लिये प्रलय का समय निर्धारित कर दिया गया है।

﴾ 41 ﴿ जिस दिन, कोई साथी किसी साथी के कुछ काम नहीं आयेगा और न उनकी सहायता की जायेगी।

﴾ 42 ﴿ परन्तु, जिसपर अल्लाह की दया हो जाये, तो वास्तव में वह बड़ा प्रभावशाली, दयावान है।

﴾ 43 ﴿ निःसंदेह ज़क्कूम (थोहड़) का वृक्ष।

﴾ 44 ﴿ पापियों का भोजन है।

﴾ 45 ﴿ पिघले हुए ताँबे जैसा, जो खौलेगा पेटों में।

﴾ 46 ﴿ गर्म पानी के खौलने के समान।

﴾ 47 ﴿ (आदेश होगा कि) उसे पकड़ो तथा धक्का देते हुए नरक के बीच तक पहुँचा दो।

﴾ 48 ﴿ फिर बहाओ उसके सिर के ऊपर अत्यंत गर्म जल की यातना।[1]
1. ह़दीस में है कि इस से जो कुछ उस के भीतर होगा पिघल कर दोनों पाँव के बीच से निकल जायेगा, फिर उसे अपनी पहली दशा पर कर दिया जायेगा। (तिर्मिज़ीः 2582, इस ह़दीस की सनद हसन है।)

﴾ 49 ﴿ (तथा कहा जायेगा कि) चख, क्योंकि तू बड़ा आदरणीय सम्मानित था।

﴾ 50 ﴿ यही वह चीज़ है, जिसमें तुम संदेह कर रहे थे।

﴾ 51 ﴿ निःसंदेह आज्ञाकारी शान्ति के स्थान में होंगे।

﴾ 52 ﴿ बाग़ों तथा जल स्रोतों में।

﴾ 53 ﴿ वस्त्र धारण किये हुए महीन तथा कोमल रेशम के, एक-दूसरे के सामने (आसीन) होंगे।

﴾ 54 ﴿ इसी प्रकार होगा तथा हम विवाह देंगे उनको ह़ूरों से।[1]
1. ह़ूर, अर्थात गोरी और बड़े-बड़े नैनों वाली स्त्रियाँ।

﴾ 55 ﴿ वे माँग करेंगे उसमें, प्रत्येक प्रकार के मेवों की निश्चिन्त होकर।

﴾ 56 ﴿ वे उस स्वर्ग में मौत[1] नहीं चखेंगे, प्रथम (सांसारिक) मौत के सिवा तथा (अल्लाह) बचा लेगा उन्हें, नरक की यातना से।
1. ह़दीस में है कि जब स्वर्गी स्वर्ग में और नारकी नरक में चले जायेंगे तो मौत को स्वर्ग और नरक के बीच ला कर वध कर दिया जायेगा। और एलान कर दिया जायेगा कि अब मौत नहीं होगी। जिस से स्वर्गी प्रसन्न हो जायेंगे और नारकियों को शोक पर शोक हो जायेगा। (सह़ीह़ बुख़ारीः 6548, सह़ीह़ मुस्लिमः2850)

﴾ 57 ﴿ आपके पालनहार की दया से, वही बड़ी सफलता है।

﴾ 58 ﴿ तो हमने सरल कर दिया इस (क़ुर्आन) को आपकी भाषा में, ताकि वे शिक्षा ग्रहण करें।

﴾ 59 ﴿ अतः, आप प्रतीक्षा करें,[1] वे भी प्रतीक्षा कर रहे हैं।
1. अर्थात परिणाम की।


              SURAH AL DUKHAN MP3 with Hindi 

            Translation

   


           SURAH AL DUKHAN MP3 without Hindi

           Translation

Title: 44. Ad-Dukhan (The Smoke)

Reciter: Mishary Bin Rashid al-Afasy

Filename: 044-Mishary.mp3

Size: 9.1 MB


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