जमात से नमाज पढ़ने की फजीलत (फायदे) || हदीस || इस्लामी ज्ञान
आज की हदीस
हज़रत उबैय बिन काब रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है के रसूलुल्लाह स.अ.व. ने इरशाद फरमाया: एक आदमी का दूसरे के साथ बजमात नमाज पढ़ना उसके अकेले नमाज पढऩे से अफजल है और तीन आदमियों का बजामात नमाज पढना दो आदमियों के बजमात पढऩे से अफजल है। इसी तरह जमात की नमाज में मजमा जितना ज्यादा होगा उतना ही अल्लाह तआला को ज्यादा मेहबूब है।
(अबू दाऊद: 554)
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दैनिक हदीस / बाग ए जन्नत
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