Surah Al Humazah 104 | Hindi Translation | Text & Mp3 | सूरह अल-हुमज़ह तर्जुमे के साथ | लिखा हुआ और सुन्ने के लिए | Hindi
बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम
104. सूरह अल-हुमज़ह
सूरह हुमज़ह के संक्षिप्त विषय
यह सूरह मक्की है, इस में 9 आयतें हैं।
- इस का नाम ((सूरह हुमज़ह)) है क्यों कि इस की प्रथम आयत में यह शब्द आया है जिस का अर्थ है: व्यंग करना, ताना मारना, गीबत करना आदि।[1]
- यह सूरह भी मक्की युग की आरंभिक सूरतों में से है। इस का विषय धन के पुजारियों को सावधान करना है कि जिन की यह दशा होगी वह अवश्य अपने कुकर्म का दण्ड पायेंगे|
- इस की आयत 1 से 3 तक में धन के पुजारियों के आचरण का चित्र दिखाया गया है और उन्हें सचेत किया गया है कि यह आचरण अवश्य विनाश का कारण है।
- आयत 4 से 9 तक में धन के पुजारियों का परलोक में दुष्परिणाम बताया गया है।
104. सूरह अल-हुमज़ह
{1} विनाश हो उस व्यक्ति का, जो कचोके लगाता रहता है और चौटे करता रहता है।
{2} जिसने धन एकत्र किया और उसे गिन-गिन कर रखा।
{3} क्या वह समझता है कि उसका धन उसे संसार में सदा रखेगा?[1]
1. (1-3) इन आयतों में धन के पुजारियों के अपने धन के घमंड में दूसरों का अपमान करने और उन की कृपणता (कंजूसी) का चित्रण किया गया है, उन्हें चेतावनी दी गई है कि यह आचरण विनाशकारी है, धन किसी को संसार में सदा जीवित नहीं रखेगा, एक समय आयेगा कि उसे सब कुछ छोड़ कर ख़ाली हाथ जाना पड़ेगा।
{4} कदापि ऐसा नहीं होगा। वह अवश्य ही 'ह़ुतमा' में फेंका जायेगा।
{5} और तुम क्या जानो कि 'ह़ुतमा' क्या है?
{6} वह अल्लाह की भड़काई हुई अग्नि है।
{7} जो दिलों तक जा पहूँचेगी।
{8} वह, उसमें बन्द कर दिये जायेंगे।
{9} लँबे-लँबे स्तंभों में।[1]
1. (4-9) इन आयतों के अन्दर परलोक में धन के पुजारियों के दुष्परिणाम से अवगत कराया गया है कि उन को अपमान के साथ नरक में फेंक दिया जायेगा। जो उन्हें खण्ड कर देगी और दिलों तक जो कुविचारों का केंद्र हैं पहुँच जायेगी, और उस में इन अपराधियों को फेंक कर ऊपर से बन्द कर दिया जायेगा।
0 Comments