Surah Ar Rahman 55 | Hindi Translation | Text & Mp3 | सूरह अर-रहमान तर्जुमे के साथ लिखा हुआ और सुन्ने के लिए | Hindi

 Surah Ar Rahman 55 | Hindi Translation | Text & Mp3 | सूरह अर - रहमान तर्जुमे के साथ | लिखा हुआ और सुन्ने के लिए | Hindi 

बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम






सूरह अर-रहमान [55]

सूरह रहमान के संक्षिप्त विषय

यह सूरह मक्की है इस में 78 आयतें है।

  • इस सूरह का आरंभ अल्लाह के शुभ नाम ((रहमान)) से हुआ है। इसलिये इस का नाम सूरह रहमान है।
  • इस की आरंभिक आयतों में रहमान (अत्यंत कृपाशील) की सब से बड़ी दया का वर्णन हुआ है कि उस ने मनुष्य को कुरआन का ज्ञान प्रदान किया और उसे बात करने की शक्ति दी जो उस का विशेष गुण है।
  • फिर आयत 12 तक धरती तथा आकाश की विचित्र चीज़ों का वर्णन कर के यह प्रश्न किया गया है कि तुम अपने पालनहार के किन-किन उपकारों तथा गुणों को नकारोगे?
  • इस की आयत 13 से 30 तक जिन्नों तथा मनुष्यों की उत्पत्ति, दो पूर्व तथा पश्चिमों की दूरी, दो सागरों का संगम तथा इस प्रकार की अन्य विचित्र निशानियों और अल्लाह की दया की ओर ध्यान दिलाया गया है।
  • आयत 31 से 45 तक मनुष्यों तथा जिन्नों को उन के पापों पर कड़ी चेतावनी दी गई है कि वह दिन आ ही रहा है जब तुम्हारे किये का दुःखदायी दण्ड तुम्हें मिलेगा।
  • अन्त में उन का शुभ परिणाम बताया गया है जो अल्लाह से डरते रहे। और फिर स्वर्ग के सुखों की एक झलक दिखायी गई है।




अल्लाह के नाम से, जो अत्यन्त कृपाशील तथा दयावान् है।

(1) अत्यंत कृपाशील ने।

(2) शिक्षा दी क़ुर्आन की।

(3) उसीने उत्पन्न किया मनुष्य को।

(4) सिखाया उसे साफ़-साफ़ बोलना।

(5) सूर्य तथा चन्द्रमा एक (नियमित) ह़िसाब से हैं।

(6) तथा तारे और वृक्ष दोनों (उसे) सज्दा करते हैं।

(7) और आकाश को ऊँचा किया और रख दी तराजू।[1]

1. (देखियेः सूरह ह़दीद, आयतः25) अर्थ यह है कि धरती में न्याय का नियम बनाया और उस के पालन का आदेश दिया।

(8) ताकि तुम उल्लंघन न करो तराजू (न्याय) में।

(9) तथा सीधी रखो तराजू न्याय के साथ और कम न तोलो।

(10) धरती को उसने (रहने योग्य) बनाया पूरी उत्पत्ति के लिए।

(11) जिसमें मेवे तथा गुच्छे वाले खजूर हैं।

(12) और भूसे वाले अन्न तथा सुगंधित (पुष्प) फूल हैं।

(13) तो (हे मनुष्य तथा जिन्न!) तुम अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?

(14) उसने उत्पन्न किया मनुष्य को खनखनाते ठीकरी जैसे सूखे गारे से।

(15) तथा उत्पन्न किया जिन्नों को अग्नि की ज्वाला से।

(16) तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?

(17) वह दोनों सूर्योदय[1] के स्थानों तथा दोनों सूर्यास्त के स्थानों का स्वामी है।

1. गर्मी तथा जाड़े में सूर्योदय तथा सूर्यास्त के स्थानों का। इस से अभिप्राय पूर्व तथा पश्चिम की दिशा नहीं है।

(18) तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?

(19) उसने दो सागर बहा दिये, जिनका संगम होता है।

(20) उन दोनों के बीच एक आड़ है। वह एक-दूसरे से मिल नहीं सकते।

(21) तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?

(22) निकलता है उन दोनों से मोती तथा मूँगा।

(23) तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?

(24) तथा उसी के अधिकार में हैं जहाज़, खड़े किये हुए सागर में पर्वतों जैसे।

(25) तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?

(26) प्रत्येक, जो धरती पर हैं, नाशवान हैं।

(27) तथा शेष रह जायेगा आपके प्रतापी सम्मानित पालनहार का मुख (अस्तित्व)।

(28) तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?

(29) उसीसे माँगते हैं, जो आकाशों तथा धरती में हैं। प्रत्येक दिन वह एक नये कार्य में है।[1]
1. अर्थात वह अपनी उत्पत्ति की आवश्यक्तायें पूरी करता, प्रार्थनायें सुनता, सहायता करता, रोगी को निरोग करता, अपनी दया प्रदान करता, तथा अपमान-सम्मान और विजय-प्राजय देता और अगणित कार्य करता है।

(30) तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?

(31) और शीघ्र ही हम पूर्णतः आकर्षित हो जायेंगे तुम्हारी ओर, हे (धरती के) दोनों बोझ[1] (जन्नो और मनुष्यो!)[2]
1. इस वाक्या का अर्थ मुह़ावरे में धमकी देना और सावधान करना है। 2. इस में प्रलय के दिन की ओर संकेत है जब सब मनुष्यों और जिन्नों के कर्मों का ह़िसाब लिया जायेगा।

(32) तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?

(33) हे जिन्न तथा मनुष्य के समूह! यदि निकल सकते हो आकाशों तथा थरती के किनारों से, तो निकल भागो और तुम निकल नहीं सकोगे बिना बड़ी शक्ति[1] के।
1. अर्थ यह है कि अल्लाह की पकड़ से बच निकलना तुम्हारे बस में नहीं है।

(34) तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?

(35) तुम दोनों पर अग्नि की ज्वाला तथा धुवाँ छोड़ा जायेगा। तो तुम अपनी सहायता नहीं कर सकोगे।

(36) तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?

(37) जब आकाश (प्रलय के दिन) फट जायेगा, तो लाल हो जायेगा लाल चमड़े के समान।

(38) तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?

(39) तो उस दिन नहीं प्रश्न किया जायेगा अपने पाप का किसी मनुष्य से और न जिन्न से।

(40) तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?

(41) पहचान लिये जायेंगे अपराधी अपने मुखों से, तो पकड़ा जायेगा उनके माथे के बालों और पैरों को।

(42) तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?

(43) यही वो नरक है, जिसे झूठ कह रहे थे अपराधी।

(44) वे फिरते रहेंगे उसके बीच तथा खौलते पानी के बीच।

(45) तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?

(46) और उसके लिए, जो डरा अपने पालनहार के समक्ष खड़े होने से, दो बाग़ हैं।

(47) तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?

(48) दो बाग़, हरी-भरी शाखाओं वाले।

(49) तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?

(50) उन दोनों में, दो जल स्रोत बहते होंगे।

(51) तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?

(52) उनमें, प्रत्येक फल के दो प्रकार होंगे।

(53) तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?

(54) वे ऐसे बिस्तरों पर तकिये लगाये हुए होंगे, जिनके स्तर दबीज़ रेशम के होंगे और दोनों बाग़ों (की शाखायें) फलों से झुकी हुई होंगी।

(55) तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?

(56) उनमें लजीली आँखों वाली स्त्रियाँ होंगी, जिन्हें हाथ नहीं लगाया होगा किसी मनुष्य ने इससे पूर्व और न किसी जिन्न ने।
(57) तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?

(58) जैसे वह हीरे और मोंगे हों।

(59) तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?

(60) उपकार का बदला उपकार ही है।

(61) तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?

(62) तथा उन दोनों के सिवा[1] दो बाग़ होंगे।
1. ह़दीस में है कि दो स्वर्ग चाँदी की हैं। जिन के बर्तन तथा सब कुछ चाँदी के हैं। और दो स्वर्ग सोने की, जिन के बर्तन तथा सब कुछ सोने का है। और स्वर्ग वासियों तथा अल्लाह के दर्शन के बीच अल्लाह के मुख पर महिमा के पर्दे के सिवा कुछ नहीं होगा। (सह़ीह बुख़ारीः 4878)

(63) तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?

(64) दोनों हरे-भरे होंगे।

(65) तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?

(66) उन दोनों में, दो जल स्रोत होंगे उबलते हुए।

(67) तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?

(68) उनमें, फल तथा खजूर और अनार होंगे।

(69) तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?

(70) उनमें, सुचरिता सुन्दरियाँ होंगी।

(71) तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?

(72) गोरियाँ सुरक्षित होंगी ख़ेमों में।

(73) तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?

(74) नहीं हाथ लगाया होगा[1] उन्हें किसी मनुष्य ने इससे पूर्व और न किसी जिन्न ने।
1. ह़दीस में है कि यदि स्वर्ग की कोई सुन्दरी संसार वासियों की ओर झाँक दे, तो दोनों के बीच उजाला हो जाये। और सुगंध से भर जायें। (सह़ीह़ बुख़ारी शरीफ़ः 2796)

(75) तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?

(76) वे तकिये लगाये हुए होंगे हरे ग़लीचों तथा सुन्दर बिस्तरों पर।

(77) तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे?

(78) शुभ है आपके प्रतापी सम्मानित पालनहार का नाम।



           Surah Ar Rahman 55 MP3 with Hindi 

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            Surah Ar Rahman 55 MP3 without Hindi

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Title: 55. Ar-Rahman (The Most Gracious)

Reciter: Mishary Bin Rashid al-Afasy

Filename: 055-Mishary.mp3

Size: 10.4 MB




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